Wednesday, August 24, 2011

पंथी को छाया


उस सूने रास्ते में वो पेड़ था. जून की दोपहरी और सावन की बरसातों में उसने बहुत से राहियों की मदद की.21.jpg
उन्ही शरणार्थिओं में इक महात्मा भी थे. उन्होंने वहाँ धूनी रमाई. 
जब महात्मा जी चले गए तो कुछ भक्तों ने वहाँ छोटा सा इक मंदिर बनवाया. लोग आने लगे. जमघट बढ़ा.
भक्त बढे तो मंदिर को बड़ा करने के लिए उस पेड़ को काटना पड़ा.
बाद में भक्त ये चिंतन करते थे की जाने क्या देखकर महात्मा जी ने इतनी दूर धूनी रमाई.

Photo Courtesy: Flickr

No comments:

Post a Comment