Sunday, February 5, 2012

पुण्य

रिक्शेवाला जब रिक्शा चलाने लगा तो ज़ोरों से खांसी शुरू हुई. यात्री ने देखा की रिक्शावाला थोडा बूढ़ा है.
थोड़ी चढ़ाई आई तो खांसी बढ़ गयी. यात्री गंतव्य से थोडा पहले उतर गया. रिक्शे वाले को पूरे पैसे दिए.
रात को अच्छी नींद सोया कि कुछ पुण्य किया है.
सवेरे बगल वाले डॉक्टर बोल रहे थे कि इक रिक्शा चालक गंभीर हालत में है.
ना जाने क्यूँ रात भर रिक्शा चलाता रहा और सब यात्रिओं से बोलता रहा कि अभी बूढा नहीं हुआ है वो. काफी जान है उसमें.

Wednesday, August 24, 2011

नास्तिक

 

वो नास्तिक था. बेरोजगार. आखिरकार मंदिर में पंडित की नौकरी कर ली.

पंथी को छाया


उस सूने रास्ते में वो पेड़ था. जून की दोपहरी और सावन की बरसातों में उसने बहुत से राहियों की मदद की.21.jpg
उन्ही शरणार्थिओं में इक महात्मा भी थे. उन्होंने वहाँ धूनी रमाई. 
जब महात्मा जी चले गए तो कुछ भक्तों ने वहाँ छोटा सा इक मंदिर बनवाया. लोग आने लगे. जमघट बढ़ा.
भक्त बढे तो मंदिर को बड़ा करने के लिए उस पेड़ को काटना पड़ा.
बाद में भक्त ये चिंतन करते थे की जाने क्या देखकर महात्मा जी ने इतनी दूर धूनी रमाई.

Photo Courtesy: Flickr

Monday, August 15, 2011

कमीनापन

 

वो बहुत कमीना लड़का था. हर फ्रेंडशिप डे पे क्लास की सारी लड़कियां उसे बैंड बांधती थी.
उसकी कोई बहन नहीं थी.
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भाई सरल था. उसकी कोई बहन नहीं थी. हर रक्षा बंधन पे वही सारी लड़कियां उसे राखी बांधती थी.

भाई समझ नहीं पाता था कि किसमें ज्यादा कमीनापन है.

Photo Courtesy: Flickr

कामयाबी

18

 

उसे अपने हुनर पर घमंड था. कभी ऐसा नहीं हुआ कि वो नाकामयाब लौटा हो.
कमबख्त हर बार लौट भी आता था.
परसों भी अपना काम कर रहा था. जैसे ही बम का टाइमर सेट किया वैसे ही उस पे नज़र पड़ी.
वह उसे बरसों बाद देख रहा था.


वह जान गया की इस बार वो हर सूरत में नाकामयाब रहेगा.

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आइना

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वो अनपढ़ था. शिक्षा उसने आइनों से हासिल की थी.
साफ़, सीधा था.  झूठ नहीं बोलता था.
बिंब और प्रतिबिम्ब से बराबर दूरी बना के रखता था.
इक दिन चकनाचूर हो गया.

उसे अपने ही प्रतिबिम्ब से प्यार हो गया था.
वो उसके करीब आया. वो उससे मिलना चाहता था.
उसे उसके प्रतिबिम्ब से मिलाने के वास्ते, आइना टूट गया.

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